कल की तिथि क्या है
Kal ki tithi kya hai
4 मार्च 2025
कल की तिथि

कल की तिथि क्या है :
पंचांग तिथी, शुभ मुहूर्त
- कल की तिथि क्या है विस्तार से
- दिनांक : 4 मार्च 2025
- वार : मंगलवार
- माह (अमावस्यांत) : फाल्गुन
- माह (पूर्णिमांत) : फाल्गुन
- ऋतु : वसंत
- आयन : उत्तरायण
- पक्ष : शुक्ल पक्ष
- तिथि: पंचमी तिथि (दोपहर 03:16 तक) तत्पश्चात षष्ठी तिथि
- नक्षत्र : भरणी नक्षत्र (5 मार्च प्रात: 02:37 तक) तत्पश्चात कृत्तिका नक्षत्र
- योग : इन्द्र योग (5 मार्च प्रात: 02:05 तक) तत्पश्चात वैधृति योग
- करण : बलवा करण (दोपहर 03:16 तक) तत्पश्चात कौलव करण
- चन्द्र राशि : मेष
- सूर्य राशि: कुंभ राशि
- अशुभ समय:
- राहु काल: दोपहर 03:33 से दोपहर 05:01 तक
- शुभ मुहूर्त:
- अभिजित : दोपहर 12:15 से दोपहर 01:02
- सूर्योदय: 06:49
- सूर्यास्त : 06:28
- संवत्सर : क्रोधी
- संवत्सर(उत्तर) : कालयुक्त
- विक्रम संवत: 2081 विक्रम संवत
- शक संवत: 1946 शक संवत
- Kal ki tithi kya hai as above
Kal Ki tithi kya hai
कल की तिथि क्या है -
जाणिये इस महिने के मुहूर्त
- विनायक चतुर्थी : 3 मार्च
- दुर्गाष्टमी : 7 मार्च
- जागतिक महिला दिन : 8 मार्च
- आमलकी एकादशी : 10 मार्च
- होली : 13 मार्च
- फाल्गुन पूर्णिमा : 14 मार्च
- संकष्ट चतुर्थी : 17 मार्च
- भागवत एकादशी :26 मार्च
- फाल्गुन अमावास्या : 29 मार्च
Panchang Tithi
कल की तिथि क्या है
Kal ki tithi kya hai in hindi - पंचांग: एक परिचय
भारत में पंचांग महत्वपूर्ण है जो दिन-प्रतिदिन की धार्मिक और ज्योतिषीय गतिविधियों को निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाता है। पंचांग का अर्थ है पांच अंग, अर्थात् तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण। यह प्राचीन भारतीय खगोल विज्ञान और ज्योतिष का अभिन्न हिस्सा है, जो लोगों को शुभ मुहूर्त, व्रत, पर्व और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए समय निर्धारित करने में सहायता करता है।
कल की तिथि क्या है
पंचांग का ऐतिहासिक महत्व
पंचांग की परंपरा वेदों से जुड़ी हुई है। वैदिक काल से ही खगोलीय घटनाओं को ध्यान में रखकर समय की गणना की जाती रही है। ऋग्वेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद में ग्रहों की चाल और उनके प्रभावों का उल्लेख मिलता है। महर्षि पराशर और वराहमिहिर जैसे प्राचीन ज्योतिषाचार्यों ने पंचांग की गणना प्रणाली को विकसित किया।
कल की तिथि क्या है
पंचांग के पांच अंग
- तिथि: चंद्रमा के एक राशि से दूसरी राशि में जाने के समय को तिथि कहते हैं। यह दिन के महत्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ या अशुभ समय को दर्शाता है। तिथि के नाम 30 होते हैं, जो 15-15 के दो पक्षों में विभाजित होते हैं: शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते क्रम में) और कृष्ण पक्ष (चंद्रमा के घटते क्रम में)। ये तिथियां इस प्रकार हैं: प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, और पूर्णिमा (शुक्ल पक्ष) या अमावस्या (कृष्ण पक्ष)।
- वार: सप्ताह के सात दिनों को वार कहते हैं, जो ग्रहों के नाम पर आधारित होते हैं जैसे सोमवार (चंद्रमा) और गुरुवार (बृहस्पति)।
- नक्षत्र: आकाश में 27 नक्षत्र होते हैं, जो चंद्रमा की गति से जुड़े होते हैं। प्रत्येक नक्षत्र का अपना प्रभाव होता है।
नक्षत्र के नाम 27 होते हैं, जो इस प्रकार हैं: अश्विनी, भरणी, कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, और रेवती। प्रत्येक नक्षत्र का अपना विशेष प्रभाव और गुण होते हैं। - योग: सूर्य और चंद्रमा के कोणीय दूरी से योग की गणना होती है, जो शुभ या अशुभ समय को निर्धारित करता है।
- करण: एक तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं, जो विशेष कार्यों के लिए शुभ या अशुभ समय को दर्शाता है।
Kal ki tithi kya hai in hindi
पंचांग का उपयोग
भारतीय समाज में पंचांग का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार, यात्रा और अन्य शुभ कार्यों के लिए पंचांग को देखकर शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। त्यौहारों की तिथि, ग्रहण का समय और धार्मिक अनुष्ठान भी पंचांग के आधार पर तय किए जाते हैं।
Kal ki tithi kya hai in hindi
महत्व और विश्वास
पंचांग केवल धार्मिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करता है। लोग इसे एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक साधन मानते हैं, जो प्रकृति के नियमों के अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा देता है। हालांकि, कुछ लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन भारतीय समाज में पंचांग का महत्व अटूट है।
पंचांग भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक अभिन्न अंग है। यह न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए मार्गदर्शन करता है, बल्कि प्रकृति के नियमों के अनुसार जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है। चाहे विज्ञान इसे मान्यता दे या नहीं, पंचांग का प्रभाव भारतीय समाज में सदियों से बना हुआ है और आगे भी रहेगा।